Wednesday, 6 January 2016

अकेले फिर रहे हो कब से दरिया पार करने को,
चलो हम साथ संघर्षों का दरिया पार करते हैं |
सुना है ज़िंदगी में भी बहुत से रंग होते हैं,
चलो रंगों से अपनी ज़िंदगी गुलज़ार करते हैं |
                      - कुलदीप "कमल"