हर तरफ सुखा पड़ा है घर में एक दाना नहीं,
अब परिंदों का यहाँ पर कोई ठिकाना नहीं |
दिन मजूरी में गुजारी रात गुज़री नींद में ,
है मुहब्बत चीज़ क्या हमने कभी जाना नहीं |
- कुलदीप "कमल"
अब परिंदों का यहाँ पर कोई ठिकाना नहीं |
दिन मजूरी में गुजारी रात गुज़री नींद में ,
है मुहब्बत चीज़ क्या हमने कभी जाना नहीं |
- कुलदीप "कमल"