Wednesday, 9 December 2015

GAZAL




  "मुस्कुरा दो"
 


तुम कांपते लबों से,इक बार मुस्कुरा दो|

पागल मुझे बना के,इक बार मुस्कुरा दो|



इक रोज़ बुझ गया था, मेरा चराग दिल का

ये जल उठेगा फिर से,इक बार मुस्कुरा दो|



उजड़े हुए चमन में बरसों उदास बैठे

सब फूल खिल उठेंगे,इक बार मुस्कुरा दो|



बस्ती में आज जुगनू हर द्वार पे खड़े हैं

सब जगमगा उठेंगे,इक बार मुस्कुरा दो|

- कुलदीप "कमल" 

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