प्यार रिश्ता औ" वफ़ा बस नाम बनकर रह गयी |
ज़िंदगी दौलत की चाहत में उलझकर रह गयी |
रोज़ जीने के लिए बस इक ज़रुरत चाहिए,
वो ज़रूरत रोज़ की लालच में ढलकर रह गयी |
- कुलदीप "कमल"
ज़िंदगी दौलत की चाहत में उलझकर रह गयी |
रोज़ जीने के लिए बस इक ज़रुरत चाहिए,
वो ज़रूरत रोज़ की लालच में ढलकर रह गयी |
- कुलदीप "कमल"
No comments:
Post a Comment