तेरे मुस्कान के आगे गुस्सा मेरा पिघल जाए|
दर्प निकले अंखियों से जलन दिल से निकल जाए|
मेरे तन में बसा है इक सुस्त आशिक नसीबों का
तेरे बस एक छुअन से ही मेरा तन मन मचल जाए|
असर हो प्यार का ऐसा कि लालच बदले चाहत में
नहीं तो कामना मेरी मुहब्बत में बदल जाए|
लबों को जाम से पहले लबों से थाम लेना तुम
नशे की आग में तेरा कहीं आशिक न जल जाए|
- कुलदीप "कमल"
jiyo bhai
ReplyDeletethank you amit bhai...
Delete