Tuesday, 8 December 2015

GAZAL

तेरे  मुस्कान  के  आगे  गुस्सा  मेरा  पिघल  जाए|
दर्प निकले अंखियों से जलन दिल से निकल जाए|

मेरे तन में बसा है इक सुस्त आशिक नसीबों का 
तेरे बस एक छुअन से ही मेरा तन मन मचल जाए|

असर हो प्यार का ऐसा कि लालच बदले चाहत में
नहीं  तो  कामना  मेरी  मुहब्बत  में  बदल  जाए|

लबों को जाम से पहले लबों से थाम लेना तुम 
नशे की आग में तेरा कहीं आशिक न जल जाए|
                                  - कुलदीप "कमल"

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