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Tuesday, 15 December 2015

चंद मिसरे



इश्क खुशियों का जहाँ हो,ये ज़रूरी तो नहीं |

हर मुहब्बत दास्ताँ हो,ये ज़रूरी तो नहीं |

यूं बहुत कुछ बोलती है आँख की गहराई भी,

प्यार लब से ही बयाँ हो,ये ज़रूरी तो नहीं |
              
          - कुलदीप "कमल"

Monday, 14 December 2015

प्यार रिश्ता औ" वफ़ा बस नाम बनकर रह गयी |
ज़िंदगी दौलत की चाहत में उलझकर रह गयी  |
रोज़ जीने के लिए बस इक ज़रुरत चाहिए,
वो ज़रूरत रोज़ की लालच में ढलकर रह गयी |
                  - कुलदीप "कमल"

Sunday, 13 December 2015

शेर


प्यार क्या है क्या वफ़ा है मै समझ सकता अगर ,
दिल मेरा उसकी ख़ुशी में यूं कभी जलता नहीं |

दोष क्या दें आज उनको हो गए जो बेवफा ,
प्यार शायद हमने ही दिल से कभी किया नहीं |
                       - कुलदीप "कमल"