Thursday, 8 February 2018

तु किसी रेल सी ग़ुज़रती है,मैं किसी पुल सा थर थराता हूँ
एक जंगल है तेरी आंखों में,जहाँ मैं राह भूल जाता हूँ।
तू रत्ती भर न सुनती है,मैं तेरा नाम बुद-बुदाता हूँ ।
मैं पानी के बुलबुले जैसा,तेरी याद में फूट जाता हूँ

Wednesday, 6 January 2016

अकेले फिर रहे हो कब से दरिया पार करने को,
चलो हम साथ संघर्षों का दरिया पार करते हैं |
सुना है ज़िंदगी में भी बहुत से रंग होते हैं,
चलो रंगों से अपनी ज़िंदगी गुलज़ार करते हैं |
                      - कुलदीप "कमल"

Wednesday, 16 December 2015

तुझे भूलने की कोशिश में मेरी हर बार पलकें भीग जातीं हैं |
मैं तेरे इस शहर से दूर रहूँ जितना याद तेरी खींच लाती हैं |
        - कुलदीप "कमल"

Tuesday, 15 December 2015

चंद मिसरे



इश्क खुशियों का जहाँ हो,ये ज़रूरी तो नहीं |

हर मुहब्बत दास्ताँ हो,ये ज़रूरी तो नहीं |

यूं बहुत कुछ बोलती है आँख की गहराई भी,

प्यार लब से ही बयाँ हो,ये ज़रूरी तो नहीं |
              
          - कुलदीप "कमल"

Monday, 14 December 2015

प्यार रिश्ता औ" वफ़ा बस नाम बनकर रह गयी |
ज़िंदगी दौलत की चाहत में उलझकर रह गयी  |
रोज़ जीने के लिए बस इक ज़रुरत चाहिए,
वो ज़रूरत रोज़ की लालच में ढलकर रह गयी |
                  - कुलदीप "कमल"

Sunday, 13 December 2015

शेर


प्यार क्या है क्या वफ़ा है मै समझ सकता अगर ,
दिल मेरा उसकी ख़ुशी में यूं कभी जलता नहीं |

दोष क्या दें आज उनको हो गए जो बेवफा ,
प्यार शायद हमने ही दिल से कभी किया नहीं |
                       - कुलदीप "कमल"

Saturday, 12 December 2015

हर तरफ सुखा पड़ा है घर में एक दाना नहीं,
अब परिंदों का यहाँ पर कोई ठिकाना नहीं |

दिन मजूरी में गुजारी रात गुज़री नींद में ,
है मुहब्बत चीज़ क्या हमने कभी जाना नहीं |
                             कुलदीप "कमल"