प्यार रिश्ता औ" वफ़ा बस नाम बनकर रह गयी | ज़िंदगी दौलत की चाहत में उलझकर रह गयी | रोज़ जीने के लिए बस इक ज़रुरत चाहिए, वो ज़रूरत रोज़ की लालच में ढलकर रह गयी |
-कुलदीप "कमल"
प्यार क्या है क्या वफ़ा है मै समझ सकता अगर , दिल मेरा उसकी ख़ुशी में यूं कभी जलता नहीं | दोष क्या दें आज उनको हो गए जो बेवफा , प्यार शायद हमने ही दिल से कभी किया नहीं | - कुलदीप "कमल"
Saturday, 12 December 2015
हर तरफ सुखा पड़ा है घर में एक दाना नहीं, अब परिंदों का यहाँ पर कोई ठिकाना नहीं | दिन मजूरी में गुजारी रात गुज़री नींद में , है मुहब्बत चीज़ क्या हमने कभी जाना नहीं | - कुलदीप "कमल"
वफ़ा जितनी सको ले लो मेरे दरिया-ए-दिल से तुम, मगर मैं दर्द ज़ख्मों का कभी भी दे न पाऊंगा | यही हमराज़ है मेरा यही है आस जीने का, बिना इसके मैं एक पल भी अकेला रह न पाऊंगा | - कुलदीप "कमल"